विमर्श

Pradip Bihari
नारी स्वावलम्बनक बाट बनबैत चानो दाइ : प्रदीप बिहारी
सोमदेवक दूटा उपन्यास मैथिली साहित्यकें भेटलैक अछि। ओ थिक चानो दाइ आ होटल अनारकली। होटल अनारकली एकटा जासूसी उपन्यास अछि। प्रकाशनक बाद ई उपन्यास खूबे चर्चित भेल छल। ओहुना मैथिलीमे...
Read More
D S NAVEEN
ग्राम्‍य कला की जरूरत - देवशंकर नवीन
देश-दुनि‍या में आधुनि‍क हुए लोगों को वि‍ज्ञान एवं प्रौ़द्योगि‍की ने बड़ी सुवि‍धा दी है। लोग बहुत खुश हैं। ऐशो-आराम की सारी वस्‍तुएँ उनसे मात्र एक फोन-कॉल की दूरी पर है। कि‍न्‍तु...
Read More
D S NAVEEN
बोलियों की ताकत - देवशंकर नवीन
पूरे देश में इन दि‍नों बड़ी बारीकी से भाषा का खेल खेला जा रहा है। देखते-देखते दुनि‍या भर की हजारो बोलि‍याँ लुप्‍त हो गईं, कि‍न्तु आन्‍दोलनधर्मि‍यों को लग रहा है कि‍ बोलि‍यों...
Read More
Vibhuti Anand
'मुनिक मतिभ्रम' (नाटककार योगानन्द झा) क निहितार्थ : विभूति आनन्द
योगानंद झाक नाम स्मरणमे अबैत देरी स्वतः एकटा कथाक शीर्षक समक्ष मे आबि नाचि जाइत अछि– ‘आम खयबाक मुँह’ ! मुदा सेहो एसगरे नहि, ओकरा संगे ‘रुसल जमाय’ सेहो....
Read More
Scroll to Top